मुक्त छंद बादल को समर्पित

 मुक्त छंद बादल को  समर्पित 



🌧️काले मेघा🌧️


काले काले मेघा,

तीखे कटीले नयना,

रूप गर्विता जैसे मेघा,

काले काले केश 

जैसे परिपाटी से सजे 

तेरे वेश.....

💃🏼💃🏼💃🏼💃🏼💃🏼💃🏼

काले...............

तन पर कसी तेरी

सूती साड़ी ,अंलखनंदा 

जैसा वेश है तेरा. ..

हे काले मेधा बरस बरस

कर मन को हरषों

😊😊😊😊😊😊

काले. ........

कभी गंगा कभी जमुना दिखती हो,

कल कल निर्मल बहती हो

गंभीरता से भरी बाते तेरी

सहर्ष कहती हो.... 

🎤🎤🎤🎤🎤🎤🎤🎤

काले......     

इतनी सौम्य सरल सहज कैसी हो

वर्षा की श्वेत बूंदो की तरह,

टिप टप शोर करती हो,

अपनी दंत पंक्तियो को खोलो ना,

कभी बिजली तो कजरी दिखती हो

🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵🎵

काले.. .........

अपने साजन की सजनी 

मुक्त कंठ से कहती हो,

ओह मनोदनी मायावी नारी,

कल कल हर ऋतु में,

रहती हो,

झम झम बरसती हो पता नही

कितनी तुम्हरे सपन सलोने

हर दिन मधुमास सी कहती हो

🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚

काले. .........      

☕🍫🌹☕☕☕☕☕


😇नंदिता एकांकी😇

   🌳प्रयागराज 🌳